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शिक्षा

MOTIVATION

September 23, 2022 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अभिप्रेरणा

अभिप्रेरणा से आशय व परिभाषाएं (Meaning and definitions of motivation)-

अभिप्रेरणा जीव की वह आन्तरिक स्थिति है जो उसमें क्रियाशीलता उत्पन्न करती है और अपनी उपस्थिति तक चलाती रहती है। यह वह जादू है जो मानव को उसकी शक्तियों से साक्षात्कार कराता है यदि इसकी दिशा ठीक है तो यह एक ऐसा उपागम है जो लक्ष्य की प्राप्ति सुगम कर देता है। अर्थात यह सीधे सीधे हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है। वुडवर्थ महोदय कहते हैं –

“A motive is a state of the individual which disposes him for certain behaviour and for seeking certain goals.”

“अभिप्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ती के लिए निश्चित व्यवहार को स्पष्ट करती है।”

जब कि जॉनसन (Johnson) महोदय का विचार है कि –

“Motivation is the influence of general pattern of activities indicating and directing the behaviour of the organism.”

“अभिप्रेरण सामान्य क्रियाकलापों का प्रभाव है जो मानव के व्यवहार को उचित मार्ग पर ले जाती है।”

गुड महोदय का अभिप्रेरणा के विषय में मत है –

“Motivation is the process of arousing, sustaining and regulating an activity.” – Good

“अभिप्रेरणा किसी कार्य को प्रारम्भ करने, जारी रखने तथा सही दिशा में लगाने की प्रक्रिया है।”

मैग्डूगल (McDougall) महोदय का विचार है कि –

“Motives are conditions physiological and psychological within the organism that disposes it to act in certain ways.”

“अभिप्रेरणा वह शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक दशाएं हैं जो किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती हैं।”

एक अन्य महत्त्व पूर्ण विचारक पी. टी. यंग  महोदय का विचार है –

“Motivation is the process of arousing action sustaining the activities in progress and regulating the pattern of activity.”

“प्रेरणा व्यवहार को जागृत करके क्रिया के विकास का पोषण करने तथा उसकी विधियों को नियमित करने की प्रक्रिया है।” 

उक्त विचारकों के विचारों के विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि अभिप्रेरणा या प्रेरणा आवश्यकता से उत्पन्न मनोव्यावहारिक क्रिया है जो लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में कार्यों का सम्पादन कराती है।

अभिप्रेरणा के सिद्धान्त / Principles of motivation –

अभिप्रेरणा हेतु बहुत से सिद्धान्त व मान्यताएं विविध मनोवैज्ञानिकों द्वारा बताये गए हैं इन सिद्धान्तों द्वारा विविध प्रकार से अभिप्रेरणा की व्याख्या की गयी है। जिन्हें अपनी सुविधा के अनुसार इस प्रकार अनुक्रमित किया जा सकता है –

1 – शारीरिक सिद्धान्त / Physiological Theory   –

शरीर की मनोदशा हमेशा एक जैसी नहीं होती इसमें समय समय पर विविध परिवर्तन परिलक्षित होते हैं और इसी कारण शरीर में प्रतिक्रियाएं भी होती रहती हैं और इस प्रतिक्रिया के मूल को यदि हम जानने का प्रयास करें तो वह अभिप्रेरणा ही है।

2 – उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त / Stimulus – Response Theory –

उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त वह सिद्धान्त है जो व्यवहारवादियों द्वारा प्रति पादित किया गया है यह सीखने के सिद्धांत पर ही आधारित है इनके अनुसार मनुष्य का सम्पूर्ण व्यवहार शरीर द्वारा उद्दीपन के परिणाम स्वरुप होने वाली अनुक्रिया है ये मानते हैं की अभिप्रेरणा की इसमें भूमिका नहीं है कोई भी प्रतिक्रिया विशुद्ध रूप से विशिष्ट अनुक्रिया ही है।

इस मान्यता में विविध तथ्यों व अनुभव की अवहेलना की गयी है यद्यपि उद्दीपकों द्वारा विविध अनुक्रियाएं होती हैं लेकिन किसी प्रतिक्रिया के होने में मूलतः अभिप्रेरणा का हाथ होता है।

3 – मूल प्रवृत्यात्मक सिद्धान्त / Instinct Theory – 

 इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी मानव का व्यवहार जन्मजात मूल प्रवृत्तियों द्वारा निर्धारित व संचालित होता है इस सिद्धान्त का प्रतिपादन मैक्डूगल महोदय द्वारा किया गया लेकिन यह सिद्धान्त अभिप्रेरणा की  पूर्ण व्याख्या करने में सक्षम नहीं है ।

4 – मनो – विश्लेष्णात्मक सिद्धान्त / Psycho-analysis Theory –

यह सिद्धान्त मनोवैज्ञानिक फ्रायड की देन स्वीकारा जाता है यह सिद्धान्त बताता है कि मनुष्य का अभिप्रेरणात्मक व्यवहार दो कारकों द्वारा संचालित होता है . जिनमें से एक तो मूल प्रवृत्तियाँ ही हैं और दूसरा है अवचेतन मन। वह यह भी  मानता है कि दो ही मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं जीवन मूल प्रवृत्ति और दूसरी मृत्यु मूल प्रवृत्ति  जो उसे क्रमशः सृजनात्मक व विध्वंशात्मक व्यवहार हेतु प्रेरित करते हैं। मूल प्रवृत्ति सम्बन्धी यह विचार मनोवैज्ञानिकों को मान्य ही नहीं और दूसरे अवचेतन मन के अलावा चेतन मन और अर्ध चेतन मन के द्वारा भी व्यवहार संचालित होता है अतः फ्रायड महोदय भी पूर्ण स्वीकार्य नहीं।

5- अन्तर्नोद सिद्धान्त / Drive Theory –

यह सिद्धान्त प्रसिद्द मनोवैज्ञानिक हल महोदय की देन है इन्होने यह बताया कि मनुष्य की आवश्यकताओं के कारण उसमें तनाव पैदा होता हे जिसे मनोविज्ञान की भाषा में अन्तर्नोद उच्चारित करते हैं ये अन्तर्नोद ही उसके विशिष्ट व्यवहार का कारण है कुछ समय पश्चात मनोवैज्ञानिकों ने शारीरिक आवशयकताओं के साथ मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को भी जोड़ लिया लेकिन फिर भी यह सिद्धान्त अपूर्ण ही रहा क्योंकि यह मानव के उच्च ज्ञानात्मक व्यवहार की व्याख्या में सक्षम नहीं बन सका।

6 – इच्छा आधारित सिद्धान्त / Desire based theory –

इस मत के अनुसार मानव का व्यवहार इच्छा will द्वारा निर्धारित होता है बौद्धिक मूल्यांकन द्वारा सृजित इच्छा द्वारा अभिप्रेरणा को दिशा मिलाती है और संकल्प को बल मिलता है लेकिन संवेग/Emotions  व प्रतिवर्त/Reflexis तो इच्छा से अभिप्रेरित नहीं होते।

7 – कुर्ट लेविन सिद्धान्त / Kurt Levin Theory –

                 यह सिद्धान्त एक महत्त्वपूर्ण अधिगम सिद्धान्त है जो यह मानता है कि सीखने में अभिप्रेरणा महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है यह सिद्धान्त संयोग, स्मृति, गतिशील प्रक्रिया, व्याख्या, भग्नाशा, आकांक्षा स्तर सभी को समाहित करता है जो मूलतः साक्षी पृष्ठभूमि पर आधारित है।

                   उक्त विवेचन यह स्पष्ट करता है कि अभिप्रेरणा किसी एक कारक से निर्धारित नहीं होती इसीलिये बॉल्स / Bolles तथा फौफ्मैन / Pfaffman का पर्यावरण आधारित प्रोत्साहन सिद्धान्त  व मैसलो/ Maslow का मांग सिद्धान्त भी अभिप्रेरणा के अपूर्ण सिद्धान्त की श्रेणी में ही आते हैं।

अभिप्रेरणा के प्रकार / Types of motivation –

वास्तव में अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है जिन्हे हम आन्तरिक अभिप्रेरणा व वाह्य अभिप्रेरणा में वर्गीकृत कर सकते हैं।

[A] – आन्तरिक अभिप्रेरणा / Internal Motivation  –

इस प्रेरणा को धनात्मक, सकारात्मक, जन्मजात प्राकृतिक, प्राथमिक अभिप्रेरणा के नाम से भी जाना जाता है। आन्तरिक अभिप्रेरणा उसे कहा जाता है जो आन्तरिक अभिप्रेरकों / Internal Motives अर्थात भूख, प्यास, आत्म रक्षा, काम, आदि के कारण उत्पन्न होते हैं।इसमें मानव स्वयं प्रेरित होकर अपनी इच्छा से कार्य करता है।     

[B] – वाह्य अभिप्रेरणा / External Motivation –

इसे ऋणात्मक, कृत्रिम, सामाजिक, द्वित्तीयक अर्जित, अभिप्रेरणा के नाम से भी जाना जाता है। वाह्य अभिप्रेरणा उसे कहा जाता है जो वाह्य अभिप्रेरकों / External Motives अर्थात बाहरी स्थितियों आत्म सम्मान, उच्च सामाजिक स्थान, डॉक्टर, नेता, न्यायाधीश आदि बनने की इच्छा के कारण उत्पन्न होते हैं। निन्दा, प्रशंसा, आलोचना, प्रतियोगिता, पुरस्कार आदि वाह्य अभिप्रेरक हैं।  

                अभिप्रेरणा के प्रकारों को बताने के लिए  तरह तरह के वर्गीकरण प्रस्तुत किये जाते हैं लेकिन यदि हम उनका निष्पक्ष विश्लेषण करें तो उक्त दो ही प्रकार के तहत ही उन्हें रखा जा सकता है।  एक और तथ्य विश्लेषण योग्य है की अभिप्रेरणा हेतु प्रेरक आंतरिक हो या वाह्य उसका वास्तविक स्वरुप तो आन्तरिक ही  होता है उसे ऊर्जा तो आन्तरिक शक्ति से अभिप्रेरण के रूप में मिलती है जो लक्ष्य प्राप्ति तक उसको उत्साहित रखती है।

अधिगम में प्रेरणा की भूमिका / Role of motivation in learning –

अधिगम में अभिप्रेरणा की भूमिका निर्विवाद है यह वह शक्ति है जो सीखने की गति को तीव्र कर देती है प्रसिद्द मनोवैज्ञानिक वुड वर्थ महोदय ने कहा –

           निष्पत्ति (Achievement) = योग्यता (Ability) + अभिप्रेरणा (Motivation)

उक्त समीकरण चीख चीख कर कह रहा है कि योग्यता के साथ प्रेरणा होने पर ‘सोने पर सुहागा’ वाली कहावत चरितार्थ होती है।

वास्तव में प्रेरणा अध्यापक के हाथ में ऐसा महत्त्वपूर्ण उपागम है जिससे देश का भविष्य, हमारे विद्यार्थियों का कल सँवारा जा सकता है उनकी अन्तर्निहित क्षमता को उत्कृष्ट रूप से उभारा जा सकता है। राष्ट्र को समर्पित सेवा भावी युवा तैयार किये जा सकते हैं। शैक्षिक उत्कृष्टता के प्रदत्त सोपान तय किये जा सकते हैं अधिगम क्षेत्र में नए प्रतिमान गढ़े जा सकते हैं। तत्सम्बन्धी कुछ बिन्दु  इस प्रकार दिए जा सकते हैं –

01- उत्सुकता जागृति

02- ऊर्जा व्यवस्थापन

03- ध्यान संकेन्द्रण

04- अनवरतता

05- रूचि परिमार्जन

06- स्वस्थ आदतें

07- निर्णयन क्षमता

08- अधिगम इच्छा

09- आवश्यकता पूर्ति सक्षमता

10- सम्यक मार्ग दर्शन

11 – सम्यक साधन चयन

12 – आशावादी भविष्य

               विकास यात्रा में अभिप्रेरणा ऐसा शक्तिशाली साधन है जो हमारे सपने, हमारे अभीप्सित, हमारे लक्ष्य हमें दिला सकता है। एण्डरसन/Anderson महोदय ने उचित ही कहा है। –

“Learning will proceed best if motivated.”

“सीखने की प्रक्रिया सर्वोत्तम रूप से आगे बढ़ेगी यदि वह अभिप्रेरित होगी।”

अभिप्रेरणा कुशल अध्यापक के हाथ में शिक्षा जगत का अमूल्य वरदान है स्किनर/Skinner महोदय तो अभिप्रेरणा को सीखने का राज मार्ग बताते हैंउन्होंने कहा –

“Motivation is the super highway to learning.”

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