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वाह जिन्दगी !

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया।

March 7, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

होलीगीत सुनकर ये मन कसमसाया,

ये है अजीब बस्ती न गाँव जैसा साया,

नहीं है वो मस्ती न महुआ नजरआया,

बनावटी रूप में धन्यवाद नज़र आया ।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया।।1।

हुड़दंगो की टोली ने मनमेरा लुभाया,

भीड़ है यहाँ पे न अपना नज़र आया,

लोग जा रहे हैं पर ना मेरे रंग लगाया,

रंग भी उदास हैं, न हास नज़र आया।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया  ।2।

देखकर पिचकारी बचपन याद आया,

वो आलू ठप्पे और गुब्बारों की  माया,

रंग गाढ़ा -गाढ़ा कैसे हमने था लगाया,

अबीर और गुलाल जी भर के उड़ाया।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया ।3।

नहीं बचसका चाहे जोभी पास आया,

नहीं था कहीं भी तब, कोरोना  साया,

मस्त थीं बहारें हमने खूब रंग लुटाया,

थकगए जब हमसब तब माँ ने बुलाया।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया ।4।

आज देखता हूँ जब मैं नल पर नहाया,

विगत के पृष्ठों का ट्यूबवैल यादआया,

ढली जब दोपहर तो जुहारी ने लुभाया,

दही बड़े गुझिया पापड़ भर पेट खाया।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया ।5।

हुड़दंग संग गाँव में मर्यादा का साया,

जो था जिसके मन में, वही गीत गया,

आपस में किसी ने कुछभी ना छुपाया,

छोटे बड़े सभी में पर प्रेम नज़र आया।

आ गई है होली पूरा गाँव याद आया ।6।      

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वाह जिन्दगी !

होली है त्यौहार प्रेम का……….

March 6, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

हाथ जोड़ वन्दन करके हम गीत फाग का गाएंगे,

अपनी अग्रज पीढ़ी का, आशीष चरण छू पाएंगे,

विषम परिस्थिति कितनी भी प्रेम त्यौहार मनाएंगे,

तरह तरह के फाग सुना कर प्रेम गुलाल उड़ाएंगे।

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।1।

गौरव राष्ट्र का ध्यान रखेंगे, मर्यादा से बँध जाएंगे,

पावस बन्धन ध्यान रखेंगे, सुरभि पवित्र फैलाएंगे,

प्रकृति से हम प्यार करेंगे, पावन सा रंग बनाएंगे,

बहु रंगी है वतन हमारा, फाग में सब रंग जाएंगे।

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।2।

तरह तरह के पकवानों से, हम सब भोग लगाएंगे,

करेंगे धरती माँ का वन्दन, चन्दन तिलक लगाएंगे,

जागरूक रहें चैतन्य बनें हम शौर्य का रंग बनाएंगे,

केसरिया बाना धारण करके, मर्यादा पाठ पढ़ाएंगे।

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।3।

रंगबिरङ्गी संस्कृति अपनी दुनियाँ को रँग लगाएंगे,

दुनियाँ वाले बहुत थक चुके यहाँ आ शान्ति पाएंगे,

अबीर गुलाल के रंगों से, मौसम मदमस्त बनाएंगे,

खा पीकर आनन्द में हम, ॐ नमः शिवाय गाएंगे।      

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।4।

इन्हें लगाएं उन्हें लगाएं, अब सबको रंग लगाएंगे,

सारे वैरभाव भूल कर अब प्रेम का रस बरसायेंगे,

पर अपना अबहम ध्यान रखेंगे धोखे में ना आएंगे,

पूरे तरह चौकन्ने हो कर, हम प्रेम प्रसार कराएँगे।

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।5।

इसहोली को उसहोली से हम कुछ अलग बनाएंगे,

जितना हम सबसे सम्भव होगा स्नेह मेंह बरसाएंगे,

हर आयु के सब बन्दों में हम सब सौहाद्र लुटाएंगे,

शक्तिसंचरण करके नाथ सन्तुलन का रंग बनाएंगे।

होली है त्यौहार प्रेम का हमसब ये फर्ज निभाएंगे।6।

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काव्य

फाग में भारतीयता प्रधान होनी चाहिए।

March 21, 2019 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava 2 Comments

होलिका दहन में ही दग्ध करलो चिन्ता का,
मन में सदभावों का संचरण होना चाहिए।
रंग फैंकने से पूर्व आप भी विचार लो,
कि रंग डालने की कैसी रीति होनी चाहिए।

जोर जबरदस्ती की भावना प्रधान हो,
या गरिमा युक्त भाव का स्थान होना चाहिए ।
भावना का समन्दर है आदमी की जिन्दगी,
किसी की भावना को न ठेस लगनी चाहिए।

आस्था में रंग जाना तो स्वभाव है इन्सान का,
पर आस्था के साथ भी अनुशासन होना चाहिए।
होली तो त्यौहार है प्रेम का सद्भाव का,
इसलिए खुद का ही मन पर प्रशासन होना चाहिए।

गुझिया पापड़ दही बड़ा है आकर्षण त्यौहार का,
पर तन का अपने आप ही ख्याल रखना चाहिए।
बुरा न मानो होली है ये नारा है इस पर्व का,
अपने व बेगानों को शुभ कामना देना चाहिए।

जी हाँ ये त्यौहार है हँसी का ठिठोली का,
पर मूलतः तो भावना पवित्र होनी चाहिए।
जी भर रंग खेलना परम्परा है भारत की,
पर फाग में भारतीयता प्रधान होनी चाहिए।

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वाह जिन्दगी !

खुशियों के रंग पाकर इठलाने लगे हैं लोग।

March 20, 2019 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अजब अजब रंग लगाने लगे हैं लोग,
एक रंग पर कई रंग चढाने लगे हैं लोग।
प्रेम औ सद्भाव के खो गए हैं बहु रंग,
फ़रेब औ झूठ के रंग दिखाने लगे हैं लोग।

मानस को छोड़ तन को रँगने लगे हैं लोग,
अपनी ही मस्तियों में रमने लगे हैं लोग।
यूँ तो जमाने ने बिखेरे हैं कई रंग,
रंग मतलब के अपने अपने चुनने लगे हैं लोग।

जेबों में कई रंग ले चलने लगे हैं लोग,
फाग में बिरहा का रंग भरने लगे हैं लोग।
मेहनत औ ईमान के खो गए कई रंग,
रंग आलस और प्रमाद का भरने लगे हैं लोग।

जीवन में नया जीवन लाने लगे हैं लोग ,
सुना है नगरों में मुस्कराने लगे हैं लोग।
संस्कार ,प्रेम ,एकता के मिल गए जब रंग,
खुशियों के रंग पाकर इठलाने लगे हैं लोग।

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काव्य

मन को सदरंग की पहुँच में लाना होगा।

by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

निश्चित रूपेण हम सबको मिल होली का सदअर्थ निकालना होगा,
होली को हुड़दंगियों से बचाकर,उपयुक्त नवसाँचे में ढालना होगा।
वर्तमान होलिका दहन से पूर्व प्रहलाद को गोद से निकालना होगा,
बुरी शक्ति का दहन सुनिश्चित कर, सृजनशक्ति को दुलारना होगा।

खुशियाँ मनाओ, लेकिन इसमें छिपी कुटिलता को दुत्कारना होगा।
वासना, प्रपञ्च,दुर्भावना जोर जबरदस्ती के भावों को जलाना होगा,
प्रेम का अनन्तसागर छिपा है,इसमें इसे मथ नेहरंग उड़ाना होगा,
कलुषता की कींच गन्दगी से बचा प्राकृतिक शोखरंग बनाना होगा।

खुश रहो,अच्छा खाओ,मस्त रहो पर मय छलकाने से बचना होगा,
वक़्ती झंझावातों से विकृत मष्तिष्क, कल्याण पथ पर डालना होगा।
पड़ोसी देश के छलावे से बच, स्वदेश प्रेम का रंग निखारना होगा,
कुछ भी,कुछ भी हो पर स्वदेशी रंग ही इक दूजे पर डालना होगा।

होली को बदले की कु दृष्टियों से बचा स्नेहिल गुलाल उड़ाना होगा,
हम सब एक ही ईश्वर के बन्दे हैं,इस भाव से अबीर लगाना होगा।
सामाजिक पारस्परिक सम्बन्धों को, पुनः मधुर प्रगाढ़ बनाना होगा,
आपस में सच्चे अनुबन्धों के स्थापन से, अलगाव को भगाना होगा

हरीतिमा युक्त पात, अन्न युक्त धरा गात को सप्रेम निहारना होगा,
इसमें छिपे बदलाव के सकारात्मक सन्देशों को पहचानना होगा।
अलगाववादी रंग के बिखराव पूर्व हमें सौहाद्र रंग निखारना होगा,
देश के दुश्मन रंग बदरंग करते हैं,उनको निश्चित ही मारना होगा।

मूल भूत आवश्यकता पूर्ति हेतु, उन्नत सशक्त साधन बनाना होगा,
हरएक हिन्दुस्तानी को देश हित सच्चा फाग तनमन से गाना होगा।
जो निवाले छिने हैं श्रमवीरों के उसे वापस उन तक पहुँचाना होगा,
होली है,होली है की मस्ती के संग देश को ऐक्यरंग से नहाना होगा।

संख्यात्मक मान सवाअरब है अब तो गुणात्मक मान बढ़ाना होगा,
देश तोड़ने की प्रत्येक साजिश को मुकम्मल ढंग से नकारना होगा।
जोश में होश खोने वाले हम वतनों, देश को फिरसे सँवारना होगा,
खुश रहें और खुश रहने दें, इस मौलिक भाव से रंग डालना होगा।

इससे पहले कि खून उतरे आँखों में हमें नेहभाव से निहारना होगा,
देशद्रोह की परिधि में आने वाले दुष्टों को हिन्दुस्तान से जाना होगा।
प्यारे हिन्दुस्तान की पावन मिट्टी से गद्दारी का रंग तो मिटाना होगा,
मानव कल्याण पथ प्रशस्ति हेतु,देश को प्रेम का रंग लगाना होगा।

विश्व, बाजार हो चला है हिन्दोस्ताँ वालों को यह सब जानना होगा,
देश के उद्योग धन्धों को संवर्द्धित कर सही रास्ता निकालना होगा।
सच में होली के आनन्द हेतु दबे कुचलों को निवाला दिलाना होगा,
तन अबतक रँगा है हमने,मन को सदरंग की पहुँच में लाना होगा।

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