गहन तिमिर छा चुका,आओ दीप श्रृंखला बनाएं,

सद्भावना का ज्वार है इसे सम्यक दिशा दिखाएं,

प्रथम वन्दन गजानन का साथ में सुलक्ष्मी बिठाएं,

मिष्ठान्नों की विविधता संग, खील बताशे भी लाएं।

ईश मिलन की चाह में प्रार्थना पूर्व रंगोली बनाएं,

स्वच्छता का मार्ग चुन लें स्वास्थ्य का प्रसाद पाएं,

पर्व का शुभमर्म जानें, प्रसरित हों मंगलभावनाएं,

खुशी मयस्सर नहीं जिन्हे,चलो उनके गम  हटाएँ।

संकट उनके बाँट लें हम कम करें कुछ वेदनाएं,

सारेदीप खुद न जलाकर कुछ उन्हें भी बाँटआएं,

दीर्घकालिक व्यवस्था कर उनकी चिन्तायें भगाएं,

वो स्वयं को खो चुके हैं, आशा के दीपक जलाएं।

पर्व होते पथ खुशी के, जूए का अब भ्रम मिटाएं,

प्रकाशपर्व मनाने हेतु खुशी से सब घर को जाएं,

दुर्दान्त जिनकी भावना, उसमें वो परिवर्तन लाएं,

नशा बर्बादी का घर है, आओ इसकी लत भगाएं।   

उत्तालतरंग जगचुकी आओ अब थिरकन बढ़ाएं,

उदासियाँ ठहरी मनस पर, उसे जल्दी से भगाएं,

अँधेरा दीपक तले है हम परिक्षेत्र पूरा जगमगाएँ,

छाचुका है जो अँधेरा आओ हम मिलकर भगाएं।

मजबूत करें लोकतंत्र मन को कुछ उत्तम बनाएं,

राष्ट्र द्रोही भावना का, दमन कर इकदम जलाएं,

सकारात्मक भावना गढ़, राष्ट्रवाद के स्वर बढ़ाएं,

सद्भावना जो थक चुकी है उनमें चेतनता जगाएं।

  कार्य कुछ ऐसेकरें हम ख़तम हों सब विवशताएँ,

शक्ति सञ्चय भी जरूरी इस लिए हौसला जगाएं,

प्रयास सार्थक हो हमारा चमक उठें सब दिशाएँ,

सफलता मुबारक़ हो यश प्रगति मङ्गलकामनाएं।

धन्वन्तरिपूजा होचुकी आओ हम खुशियां मनाएं,

मन को रौशन करके हम, दीप माला जगमगाएं,

हमको वृहदजीत  देतीं, नित्यप्रति की सफलताएं,

‘नाथ’ सबको दे रहा दीपावाली की शुभकामनाएं।  

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