हर समाज के अपने नियम होते हैं मर्यादाएं होती हैं परम्पराएं होती हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि प्रत्येक समाज परिवर्तन व विकास को परिलक्षित कर रहा है। आज सामाजिक परिवर्तन करने वाले बहुत से साधन दीख पड़ते हैं उनमें से शिक्षा परिवर्तन का सशक्त साधन है। डॉ०राधा कृष्णन महोदय कहते हैं :-

 “शिक्षा परिवर्तन का साधन है। जो कार्य साधारण समाजों में परिवार,धर्म और सामाजिक एवम् राजनीतिक संस्थाओं द्वारा किया जाता था, वह आज शिक्षा संस्थाओं द्वारा किया जाता है।”

मूलतः आज शिक्षा का एक महत्वपूर्ण कार्य सामाजिक परिवर्तन हो चला है।

सामाजिक परिवर्तन [Social Change] –

परिवर्तन प्रकृति का नियम है और सभी परिक्षेत्रों में परिवर्तन दिखाई पड़ रहे हैं इस क्रम में समाज में परिवर्तन भी स्वाभाविक है हाँ परिवर्तन कहीं और किसी समय तीव्र या मन्द देखे जा सकते हैं। गिलिन एवम् गिलिन महोदय कहते हैं –

“We may define social change as variation from the accepted modes of life.”

“सामाजिक परिवर्तन को हम जीवन की स्वीकृत विधियों में होने वाले परिवर्तन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।”

एम ० डी ० जेन्सन (M.D. Jensan ) महोदय का कहना है –

“Social change may be defined as modification in the ways of doing and thinking of people.”

“सामाजिक परिवर्तन को व्यक्तियों की क्रियाओं और विचारों में होने वाले परिवर्तनों के रूप में पारिभाषित किया जा सकता है।”

गिन्सबर्ग (Ginsberg) महोदय का मानना है कि –

“By social change, I understand a change in social structure,e.g, the size of society, the composition or balance of its parts or the types of its organization.”

“सामाजिक परिवर्तन से हमारा तात्पर्य सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन होना है, अर्थात समाज के आकार इसके विभिन्न अंगों के बीच सन्तुलन अथवा समाज के संगठन में होने वाला परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन है।”

उक्त के आधार पर कहा जा सकता है कि सामाजिक संरचना,सामाजिक सम्बन्धों,सामाजिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और विविध समाजों में आने वाले परिवर्तनों को सामाजिक परिवर्तन कहा जाएगा।

सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका

(Role of education in social change)

शिक्षा समाज  में किस तरह परिवर्तन ला सकती है इसे हम इन बिंदुओं से अधिगमित कर सकते हैं –

1 – शाश्वत मूल्यों को संरक्षण (Preservation of eternal values)

2 – संस्कृति का हस्तान्तरण (Transmission of Culture)

3 – परिवर्तन ग्राह्यता (Change acceptability)

4 – परिवर्तनों का मूल्याँकन (Evaluation of changes)

5 – सामाजिक बुराइयों के अन्त में सहायक (Helpful in ending social evils)

6 – ज्ञान के नए परिक्षेत्रों का विकास (Development of new domains of knowledge)

7 – मानव और समाज के सम्बन्धों को बनाये रखना (Maintaining human and society relations)

8 – सामाजिक परिवर्तनों का नेतृत्व (Leader ship of social change)

9 – सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा (Education for social change)

10 – सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)

         इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन की सशक्त वाहक है तथा मैकाइवर महोदय का यह मानना यथार्थ है कि –

“….our direct concern as sociologists is with social relationships. It is the change in these which alone we shall regard as social change.”

“समाजशास्त्री के रूप में हमारा प्रत्यक्ष सम्बन्ध केवल सामाजिक सम्बन्धों से होता है। इस दृष्टिकोण से केवल सामाजिक सम्बन्धों में होने वाले परिवर्तनों को ही हम सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।”

उक्त समस्त बिन्दु सामाजिक बदलाव का सशक्त संकेत देते हैं शिक्षा आयोग की रिपोर्ट में उचित कहा गया कि –

“Education can be used as a powerful instrument of social, economic and political change.”

“शिक्षा को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक परिवर्तन के शक्तिशाली साधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।” 

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