रिपोर्ट लेखन
शोध की दुनिया अपने आप में परिश्रम और लगन के विविध आयामों को अपने आप में समेटकर विशिष्ट कहानी का सृजन करती है। यह बताती है कि समस्त परिकल्पना, उद्देश्य, विश्लेषण, संश्लेषण, गणनाएं किसी शीर्षक के इर्द-गिर्द क्यों परिभ्रमण कर रही थीं और ज्ञान के समुद्र मंथन से क्या प्राप्त हुआ है? जो आने वाले कल में भविष्य को दिशा निर्देश देने में सक्षम है। इस कार्य को सम्पादित करता है रिपोर्ट लेखन।
एक कहावत है जंगल में मोर नाचा किसने देखा, इसका आशय है कि यदि किसी अच्छे कार्य को देखने वाला कोई नहीं तो इसका कोइ मतलब नहीं दूसरे शब्दों में यदि कोई उपलब्धि किसी के संज्ञान में नहीं आ रही तो महत्वहीन है। शोध रिपोर्ट या रिपोर्ट लेखन का यह दायित्व है कि वह किये गए कार्य की महत्ता प्रतिपादित करे तथा सबके संज्ञान में लाये।
रिपोर्ट लेखन, शोधकार्य के अंतिम चरण के रूप में स्वीकार किया जाता है और यह विशिष्ट कौशल के द्वारा सम्पादित होता है इसे लिखने में अत्याधिक सावधानी की अपेक्षा रहती है। इसीलिए इस उद्देश्य पूर्ति हेतु विशेषज्ञों की राय व निर्देशन महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। इसका उद्देश्य शोध के लाभ को उन तक पहुंचाना है जिनके लिए यह किया गया है शब्द और लेखन का ढंग ऐसा हो जो बोध ग्राह्य हो।
रिपोर्ट लेखन के विविध चरण / Various steps of report writing –
यह शोध कार्य का अंतिम चरण होने के नाते श्रम साध्य और समस्त कार्य का प्रतिनिधित्व करने वाला मुखड़ा है जो विशेष सावधानी की अपेक्षा रखता है इसीलिये अधिगम के दृष्टिकोण से इसके विविध चरणों को इस प्रकार व्यवस्थित कर सकते हैं। –
01 – समग्र का संश्लेषणात्मक तार्किक विश्लेषण / Synthetic logical analysis of the whole
02 – अन्तिम परिणति की तैयारी /Preparing for the final outcome
03 – कच्चा मसौदा/ Rough draft
04 – शुद्धिकरण और पुनः लेखन / Correction and rewriting
05 – ग्रन्थ सूची की तैयारी / Preparation of Bibliography
06 – अन्तिम परिमार्जित रिपोर्ट लेखन / final revised report writing
रिपोर्ट लेखन हेतु रिपोर्ट लेखक के आवश्यक गुण /Essential qualities of a report writer for report writing-
शोध कर्त्ता या रिपोर्ट लेखक इतनी ठोकरें शोध कार्य के दौरान खा चुका होता है कि इस हेतु आवश्यक गुण उसमें विकसित हो जाते हैं लेकिन सामान्य रूप से इन गुणों का होना गरिमायुक्त स्वीकार किया जाता है।
01 – सम्यक स्वनियन्त्रक / Proper self control
02 – त्वरित निर्णयन क्षमता / Quick decision making ability
03 – सम्यक कौशल विकास / Proper skill development
04 – तथ्यों के प्रति तटस्थ / Neutral to facts
05 – शोध मूल्यांकन में सक्षम / Capable of research evaluation
06 – सम्यक प्रबंधकीय गुण / Proper managerial skills
07 – यथार्थवादी / Realistic
08 – क्षमता को उत्कृष्टता में बदलने को तत्पर / Willing to transform potential into excellence
शोध रिपोर्ट हेतु सावधानियाँ /Precautions for research report –
यद्यपि विश्व विद्यालय द्वारा प्रदत्त प्रारूप से बँधकर कार्य किया जाता है और विविध मानकों का भी ध्यान रखा जाता है फिर भी रिसर्च रिपोर्ट को अधिक प्रभावी बनाने हेतु कुछ सावधानियाँ अपेक्षित हैं –
01 – शोध रिपोर्ट के आकार का निर्धारण /Determining the size of a research report
02 – रुचिपूर्ण / Interesting
03 – चार्ट, ग्राफ और तालिकाओं का सम्यक प्रयोग /Judicious use of charts, graphs and tables
04 – मौलिकता व तार्किक विश्लेषण / Originality and logical analysis
05 – शुद्ध व सम्यक प्रारूप / correct and proper format
06 – परामर्शित स्रोतों की स्पष्ट ग्रन्थ सूची / Clear bibliography of sources consulted
07 – परिशिष्टों का सूचीकरण / Listing of Appendices
08 – विश्वसनीय / Reliable
09 – जटिलताओं से मुक्त / Free from complications
10 – आकर्षक, स्पष्ट,स्वच्छ मुद्रण / Attractive, clear, clean printing
अन्त में यह कहना तर्क संगत होगा के बदलते परिवेश के साथ नित्य प्रति परिवर्तनों का दौर जारी है इस लिए हमें वक़्त के साथ कदम ताल करना होगा और समय के साथ नवीनतम परिवर्तित रिपोर्ट लेखन के साथ तालमेल बैठाना होगा।