मापन के स्तर
मापन की दुनियाँ निराली है हमारी दृष्टि ,हमारा दृष्टिकोण जब परिमार्जित रूप से शोध का आधार तैयार करता है तब परम आवश्यक भूमिका का निर्वहन करते हैं आँकड़े। शोध हेतु सामाजिक, आर्थिक, भौतिक, मनोवैज्ञानिक जो आँकड़े प्राप्त होते हैं उनके आधार पर ही विविध मापन सम्भव होता है। इन्ही से व्यावहारिक विज्ञानों को आधार मिलता है। एस ० एस ० स्टीवेंस महोदय ने मापन को चार स्तरों में विभाजित किया है कुछ विज्ञ जनों ने इन स्तरों को स्केल कह कर वर्णित किया है जो इस प्रकार है –
1 – शाब्दिक स्तर (Nominal Level) or शाब्दिक पैमाना (Nominal Scale)
2 – क्रमिक स्तर (Ordinal Level) or क्रमिक पैमाना (Nominal Scale)
3 – अन्तराल स्तर (Interval Level) or अन्तराल पैमाना (Nominal Scale)
4 – आनुपातिक स्तर (Ratio Level) or आनुपातिक पैमाना (Nominal Scale)
डॉ अमरजीत सिंह परिहार ने मापन के इन चार स्तरों के आधार पर मापन के चार प्रकार इस प्रकार बताए हैं
1 – शाब्दिक मापन (Nominal Measurement)
2 – क्रमिक मापन (Ordinal Measurement)
3 – अन्तराल मापन (Interval Measurement)
4 – आनुपातिक मापन (Ratio Measurement)
अधिगम व अध्ययन के दृष्टिकोण से विभिन्न स्तरों को इस प्रकार विवेचित किया जा सकता है
1 – शाब्दिक स्तर (Nominal Level) –
इस स्तर पर केवल गुण को ध्यान में रखा जाता है चाहे वस्तु हो या व्यक्ति। इसे नामित और वर्गीकृत स्तर भी कहा जाता है। व्यावहारिक विज्ञानों में इस स्तर को प्रयोग में लाया जाता है उदाहरण के रूप में रहने या निवास के आधार पर शहरी या ग्रामीण, लिङ्ग के आधार पर महिला पुरुष , अध्ययन हेतु स्नातक स्तर पर कला, विज्ञान, वाणिज्य वर्ग में विभाजित करना। इसी तरह अगर बरेली को सुरक्षा के दृष्टिकोण से 5 भागों में बांटना हो और समस्त मोहल्लों को 5 भागों में बाँटकर बरेली-1, बरेली -2, बरेली – 3, बरेली – 4, बरेली – 5 आदि नाम दिय जाए तो इसे नामित या शाब्दिक स्तर कहेंगे।
अतः यहाँ यह कहा जा सकता है कि गुणात्मक चरों के आधार पर मापन का यह स्तर शाब्दिक स्तर (Nominal Level) कहलाता है।
2 – क्रमिक स्तर (Ordinal Level) –
इस स्तर में गुण के आधार पर प्राणी या वस्तु का मापन करते हैं और इस आधार पर वर्ग विशेष को संकेत या नाम दे दिया जाता है। इस मापनी में विशेषताओं या योग्यताओं के आधार पर एक क्रम आरोही या अवरोही बना लिया जाता है। इसी आधार पर श्रेणी या विशेष क्रम प्रथम, द्वित्तीय, तृतीय आदि विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में प्रदान किया जाता है।इस क्रमित मापनी को कोटिकरण मापनी या क्रम सूचक मापनी भी कहते हैं। श्रेष्ठता के आधार पर विश्व सुन्दरी, खिलाड़ी,नौकरी हेतु चयन, विविध सेवाओं में चयन में यही आधार बनाता है।
3 – अन्तराल स्तर (Interval Level) –
इसे मापन के स्तरों में तृतीय स्थान प्रदान किया गया है इसमें ऊपर के दो स्तरों में सुधार किया गया है यद्यपि यह वास्तविक शून्य से प्रारम्भ नहीं होता लेकिन अन्तराल बराबर रखा जाता है इसका बहुत अच्छा उदाहरण थर्मामीटर है वास्तव में अन्तराल मापनी में वस्तु या प्राणी के किसी गुण का मापन इकाइयों के माध्यम से किया जाता है। इनमें दो लगातार अंकों के बीच समान अन्तर रहता है।इस मापनी के द्वारा सापेक्षिक मापन(Relative measurement) किया जाता है न कि निरपेक्ष मापन (Absolute measurement)।
4 – आनुपातिक स्तर (Ratio Level) –
यह उक्त तीनों मापनियों से उच्च स्तर की है इसमें उक्त तीनों की विशेषताएं समाहित रहती हैं वास्तविक शून्य बिन्दु मौजूद रहता है और यह शून्य बिन्दु कल्पित नहीं होता। लम्बाई, दूरी, भार आदि के मापन हेतु हम यहीं से प्रारम्भ करते हैं वास्तविक शून्य बिन्दु ही अनुपात मापनी का प्रारम्भिक बिंदु मन जाता है। इस मापन द्वारा प्राप्त संख्यात्मक मान बताता है कि यह दूरी उसकी दो गुनी या चार गुनी है। इसकी लम्बाई उसकी आधी है आदि अर्थात मापित शील गुणों के मध्य अनुपात इसके द्वारा प्राप्त संख्या द्वारानिर्धारित किया जाता है। उदाहरणार्थ यदि मेरा वजन 110 कि० ग्रा० और X महोदय का 55 कि० ग्रा० है तो हम दोनों का भार अनुपात 2 :1 हुआ। इस तथ्य से यह भी स्पष्ट होता है कि यह स्तर केवल भौतिक चरों का मापन कर सकता है अभौतिक का नहीं।