मेरी उससे दोस्ती उसको गिला गर है तो है।

मेरी तो चाहत वही, उसमें दग़ा गर है तो है।

मेरी नीयत में बफा है वो खफा गर है तो है।

मैं तो सच्चा दोस्त हूँ उसे दुश्मनी गर है तो है।

मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

मैं देशी फलसफा हूँ उनका जुदा गर है तो है।

मैं तो मिट्टी से बना हूँ, वो स्वर्ण गर है तो है।

मेरा भारत चल पड़ा है वो खड़ा गर है तो है।

मैं प्यारा रहबर रहुँगा वोआतंकी गर है तो है।

मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

मैं तो मधुरिम ही रहूँगा, वो गर बागी है तो है।

मैं संयम से चलूँगा वो उच्छृंखल गर है तो है।

मैं मर्यादा में रहूँगा वो अमर्यादित गर है तो है।

मैं सरल हूँ और रहूँगा वो दुष्कर गर है तो है।

मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

मेरी शिष्टता सखा है वो अराजक गर है तो है।

मेरे मनमें भारत बसा है वो बेमन गर है तो है।

मेरे खून में गर्मी बहुत है, वो सर्द  गर है तो है।

मैं तो मिटने को बना हूँ वो अमर गर है तो है।

मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

मेरा खून है देश को उसका निजी गर है तो है।

मैं तो मिलूँगा धूल में उसे आसमाँ गर है तो है।

मैं मिलजुलकर रहूँगा वो अलहदा गर है तो है।

मेरा स्वर वन्दे मातरम उसको गम गर है तो है

मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

मैं कफ़न बाँधे चला हूँ, वो छिपा गर है तो है।

मैं कोई फानी नहीं हूँ, उसे शक गर है तो है। 

मैं मृदु चुम्बन बाँटता हूँ वो जहर गर है तो है।

मेरा  तो प्रस्थान तय है, वो अजर गर है तो है।

 मैं से आशय राष्ट्रवादी वो अलग गर है तो है।

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