ऐ मित्र मित्रता करके हम घाती व्यवहार नहीं करते,

विश्वास में ले पीठ पीछे, खञ्जर का वार नहीं करते।

हम बच्चे भारत माता के, मरयादा हनन नहीं करते,

टुकड़े वाली धारा का हम, चिन्तन मनन नहीं करते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

यलगारों वाली धारणा के, बिलकुल साथ नहीं रहते,

राष्ट्रवाद के संवाहक हम, द्रोही व्यवहार नहीं करते।

हम बेटे हिन्दुस्तान के लुकछिप कर वार नहीं करते,

सिद्धान्त नहीं अपने छलके,  हल्की बात नहीं करते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

देश में देश द्रोही फिरके हम उनको माफ़ नहीं करते,

मातृशक्ति का वन्दन करके ढोंगी व्यवहार नहीं करते।

मरने मिटने वाले तबके स्वप्निल व्यापार नहीं करते,

देशद्रोही विषबेलों के जड़ बीज संरक्षित नहीं करते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

करनी भरनी निर्णय करके हम पुनर्विचार नहीं करते,

मृत्यु दण्ड वाले हक़ के विरुद्ध व्यवहार नहीं करते,

हम सब छल छन्द फरेबों के पक्ष में बात नहीं करते,

दुष्टों की गलत धारणा के, राष्ट्र वादी साथ नहीं रहते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

राष्ट्र का ध्वजवन्दन करके हम गन्दे भाव नहीं रखते,

जो भी देश द्रोही भाव रखे हम उसको माफ़ करते।

भोलेभाले सद्भावों के खिलाफ विषवमन नहीं करते,

रखवाले हम सिद्धान्तों के हम झूठी बात नहीं करते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

हम लय बद्ध प्रगति करके भद्दे जज्बात नहीं करते,

शुभकामनायें अर्पित करके वैरी सा भाव नहीं रखते,

मतवाले हम देश प्रेम के दुश्मन सा भाव नहीं रखते,

देश का खाके पलबढ़ के हम किसी से रार नहीं रखते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

पूजक हैं हम मातृ भूमि के द्रोही को प्यार नहीं करते।

संहारक हैं हम दुश्मन के किसी का उधार नहीं रखते,

कृतज्ञ भाव के प्रतिपादक हैं, कृतघ्नता भाव नहीं रखते,

समृद्धि राष्ट्र कारक बन कर, ऊर्जस्वी भाव नहीं तजते ।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

मनस्विता आलम्बन बनकर, कोई दुरभाव नहीं रखते,

आराधक महाकाल बनकर कामी सा भाव नहीं रखते।

ज्ञान सागर का मन्थन कर, रत्नों को पास नहीं रखते,

प्रकृति से सब कुछ पाकर, सब अपने पास नहीं रखते।

स्वराष्ट्रधर्म के संवाहक हम प्रगति अवरोध नहीं बनते।।

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