पावन पावस मधुरिम बन्धन,

मनभावन सावन रक्षा बन्धन।।

मन के भावों का आलिङ्गन

भ्राता, भगिनी मन आनन्दम

जीवन का सुन्दरतम बन्धन

बँधना चाहे तत्क्षण यह मन।।

कच्चे धागों का पक्का बन्धन

तन मन भावन है अभिनन्दन

बस मन भाता है रोली चन्दन

कितना पावन, पावस बन्धन।।

अगणित जन्मों का यह बन्धन

प्रमुदित बचपन यौवन जीवन

सद् भावों का अद्भुत संगम

ना देखे जाति पाति औ धरम।।

सद्भाव जनित जीवन चन्दन

सुरभित हुलसित लाली नन्दन

सच सुन्दरतम मानस बन्धन

तन मन बँधता सुन्दर बन्धन ।।

दीप, फूल, मधु संग सानन्दम

सुन्दर चितवन ज्यों रघुनन्दन

स्मित समुचित मन वृन्दावन

मन  पीर  हरें  जसुदानन्दन ।।

मन से मिटता सारा क्रन्दन

त्रि -तापों में दिखता मन्दन

आशीष भाव व अभिनन्दन

धागों भावों सुस्मित बन्धन ।।

पावन पावस मधुरिम बन्धन,

मनभावन सावन रक्षा बन्धन।।

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