Meaning and definition

अर्थ एवम् परिभाषा –

शब्द ‘आदर्शवाद ‘ आंग्ल भाषा के ‘Idealism’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है प्लेटो के विचारवादी सिद्धान्त से ही शब्द ‘Idealism’ की उत्पत्ति हुई है जिससे आशय है की अन्तिम सत्ता विचारों की ही है इसलिए इसे विचारवाद या प्रत्यय वाद भी कहते हैं।  ‘Idea -ism’  में ‘l’ उच्चारण की सुविधा हेतु जोड़ा गया। वास्तविक शब्द  Idea-ism ही है।

आदर्शवादी धारणा भौतिक जगत की तुलना में आध्यात्मिक जगत को महत्त्व पूर्ण मानती है इस धारणा  के अनुसार भौतिक जगत नाशवान व असत्य है और आध्यात्मिक जगत सत्य है जैसा कि डी ० एम ० दत्ता जी ने कहा –

” Idealism holds that ultimate reality is spiritual.”

“आदर्शवाद वह सिद्धान्त है जो अन्तिम सत्ता आध्यात्मिक मानता है। “

आदर्शवादी संसार का उत्पादक कारण मन या आत्मा को मानते हैं जैसा कि J.S. Ross  महोदय ने कहा –

“Idealistic philosophy takes many and varied forms, but the postulate underlying all that mind or spirit is the essential world stuff, that the true reality is of a mental character.”

आदर्शवाद के बहुत से और विविध रूप हैं परन्तु सबका आधारभूत तत्व यह है कि संसार का उत्पादक कारण मन या आत्मा है और मानसिक स्वरूप ही वास्तविक सत्य है।”

आदर्शवादी मानता है कि स्थाई तत्त्व की प्रकृति मानसिक है पहले विचार आता है और उसकी अभिव्यक्ति से सृजन होता है। Herman H. Horne  के अनुसार –

”  Idealism is the conclusion that the universe is an expression of intelligence and will, that the enduring substance of the world is of the nature of mind that the material is explained by the mental.”

आदर्शवाद का सार है कि ब्रह्माण्ड बुद्धि एवम् इच्छा की अभिव्यक्ति है विश्व के स्थाई तत्व की प्रकृति मानसिक है और भौतिकता की व्याख्या बुद्धि द्वारा की जाती है ।”

Fundamental principles of Idealism

आदर्शवाद के प्रमुख सिद्धान्त

or

Basic assumptions of Idealism

शिक्षा की मूलभूत अवधारणाएं –

  • जड़ प्रकृति की अपेक्षा मनुष्य को महत्त्व

Rusk महोदय के अनुसार –

The spiritual and cultural environment is an environment of man’s own making, It is a product of man’s creative activity.”

” इस आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण स्वयं मनुष्य ने किया है अर्थात समस्त नैतिक तथा आध्यात्मिक वातावरण समस्त मनुष्यों की रचनात्मक क्रियाओं का फल है। “ 

२ – भौतिक से अधिक आध्यात्मिक जगत को महत्त्व –          

आदर्शवादी विचारकों ने स्वीकार किया की आध्यात्मिक जगत ही अधिक महत्त्व पूर्ण है इसीलिये भौतकवादी व्यवस्था का स्थान गौड़ है।

३ – वस्तु की अपेक्षा विचार को महत्त्व – विचार की महत्ता स्वीकारते हुए प्लेटो महोदय ने कहा –

“विचार अन्तिम एवम् सार्वभौमिक महत्तव वाले होते हैं यही वे परमाणु हैं जिनसे विश्व को रूप प्राप्त होता है। ये वे आदर्श अथवा प्रतिमान हैं जिनके द्वारा उचित की परीक्षा की जाती है। ये विचार अन्तिम एवम् अपरिवर्तनीय हैं। ”

४ -आध्यात्मिक मूल्यों में आस्था – हैंडरसन महोदय ने अपने विचारों को इस प्रकार अभिव्यक्ति किया –

“Idealism emphasis the spiritual side of man because to the idealist spiritual values are the most important aspects of man and life.”

 “आदर्शवाद मनुष्य के आध्यात्मिक पक्ष पर बल देता है क्योंकि आदर्शवादियों के लिए आध्यात्मिक मूल्य जीवन के तथा मनुष्य के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। ”

५ -व्यक्तित्व के विकास पर बल – आदर्श वादी स्वीकारते हैं कि आध्यात्मिक पूर्णता की प्राप्ति से व्यक्तित्व का विकास होता है जैसा कि रॉस महोदय ने कहा-

” The aim of Education especially associated with Idealism is the exaltation of personality or self.”-J. S. Ross

” आदर्श वाद से विशेष रूप से सम्बन्धित शिक्षा का उद्देश्य है -व्यक्तित्व का उत्कर्ष अथवा आत्मानुभूति। ”

६ – विभिन्नता में एकता का सिद्धान्त-

विभिन्नता (विविधता ) ———————-एकता (चेतन तत्त्व, ईश्वर, एक शक्ति )

यह केन्द्रीय शक्ति संसार के सभी प्राणियों को एकता के सूत्र में आबद्ध करती है।   

७ -ब्रह्माण्ड मानव मस्तिष्क में निहित –

ब्रुवेकर  ( Brubacher  )-

 “The idealists point out that it is a mind that is central in understanding the world.”

                                 “आदर्श वादियों का कहना है कि संसार को समझने के लिए मस्तिष्क सर्वोपरि है।”

आदर्शवादी विचार को शाश्व

त मानते हैं उदाहरण के लिए कार आज है कल नष्ट हो सकती है परन्तु कार का विचार नष्ट नहीं हो सकता है।

आदर्शवाद व शिक्षा के उद्देश्य(Idealism and its aim)

1-व्यक्तित्व का उत्कर्ष या आत्मानुभूतिरॉस – ”आदर्शवाद से विशेष रूप से सम्बन्धित शिक्षा का उद्देश्य है – व्यक्तित्व का उत्कर्ष या आत्मानुभूति ;अर्थात आत्मा की सर्वोत्तम शक्तियों या क्षमताओं को वास्तविक रूप देना ।”

2-सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि –

रस्क -”शिक्षा को मानव जाति को इस योग्य बनाना चाहिए कि वह अपनी संस्कृति की सहायता से आध्यात्मिक जगत में अधिक से अधिक पूर्णता से प्रवेश कर सकें और आध्यात्मिक जगत की सीमाओं का विस्तार कर सकें।”

3-मूल्यों व आदर्शों की स्थापना –

रस्क -”आदर्श या मूल्य तीन हैं –

1- मानसिक- जो ज्ञात हैं।

2 – भावात्मक- जिनका अनुभव किया जाता है।

3 -सांस्कृतिक- जिनका संकल्प किया जाता है।

4 – पवित्र जीवन की प्राप्ति – फ्रोबेल महोदय ने कहा –

शिक्षा का उद्देश्य भक्तिपूर्ण, पवित्र तथा कलंक रहित जीवन की प्राप्ति है। शिक्षा को मनुष्य का पथ प्रदर्शन इस प्रकार करना चाहिए कि उसे अपने आप का ,प्रकृति का सामना करने का और ईश्वर से एकता स्थापित करने का स्पष्ट ज्ञान हो जाए।

  5 – आध्यात्मिक  चेतना का विकास –

आदर्शवादियों  विश्वास है कि जब मनुष्य अपने प्राकृतिक ‘स्व’ एवम् सामाजिक ‘स्व’ से ऊपर उठकर अपने बौद्धिक ‘स्व’ से नियन्त्रित होने लगता है तो यह यात्रा अन्ततः आध्यात्मिक ‘स्व’ के क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है।

6 – नैतिक एवम् चारित्रिक विकास –

आदर्शवादी दार्शनिकों का स्पष्ट मत है कि शिक्षा के द्वारा मानव का चारित्रिक व नैतिक उत्थान हो जिससे वह राष्ट्रोत्थान हेतु तत्पर हो प्लेटो,हीगल व फिक्टे भी श्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण उद्देश्य रूप में स्वीकार करते हैं।

7 –  शारीरिक विकास –

आदर्श वादी शिक्षा द्वारा हृष्ट पुष्ट व्यक्ति तैयार कर स्व रक्षार्थ व राष्ट्र रक्षार्थ उनका उपयोग निस्वार्थ करना चाहते हैं। वे शारीरिक से मानसिक व आध्यात्मिक उद्देश्य लब्धि सुनिश्चित करना चाहते हैं।

8 –  सत्यम् शिवम् सुंदरम् की प्राप्ति –

 ये विश्वात्मा से तादात्म्य हेतु सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् की मानव मन में स्थापना चाहते हैं यद्यपि ये पृथक सत्ताएं नहीं हैं सत्ता एक है वही सत्यम् है वही  शिवम् है वही सुंदरम् है। सब इसी में निहित है।

Idealism and Curriculum

आदर्शवाद और पाठ्यक्रम –

आदर्शवादी मानव के मानसिक, शारीरिक,बौद्धिक,सांस्कृतिक,सामाजिक,नैतिक,चारित्रिक व आध्यात्मिक प्रगति पर बल देते हैं और इस हेतु पाठ्यक्रम में साहित्य, भाषा,नीति शास्त्र और अध्यात्म शास्त्र पर विशेष बल देते हैं।

प्लेटो ने पाठ्यक्रम से मानव मूल्यों का पोषण चाहा इसीलिये सत्यम् हेतु भाषा, साहित्य, गणित, भूगोल ,विज्ञान,इतिहास, शिवम् हेतु नैतिक शास्त्र,धर्म शास्त्र अध्यात्म शास्त्र और सुन्दरम् को आचरण में लाने के लिए कला,कविता,नृत्य आदि का पाठ्यक्रम में समावेशन चाहा।  

जर्मन आदर्शवादी हर्बर्ट भाषा,साहित्य,संगीत व कला को प्रमुख व विज्ञान को गौड़ स्थान प्रदान करते थे।

इंग्लैण्ड के आदर्शवादी नन महोदय शरीर विज्ञान, समाज शास्त्र,धर्म, नीति शास्त्र,साहित्य,कला,संगीत, इतिहास,भूगोल,गणित,विज्ञान को उचित समझते थे।  

Idealism and Methods of Teaching

आदर्शवाद और शिक्षण की विधियाँ

आदर्शवाद में शिक्षण उद्देश्य स्पष्ट व निश्चित हैं इसलिए उद्देश्य प्राप्ति को प्रमुख मानकर बालक की रूचि व योग्यता के अनुसार शिक्षण विधि विकसित व प्रयुक्त करना चाहते हैं बटलर ने कहा भी है –

“Idealists consider themselves creators and determiners of methods not devotees of some one method.”

 ”आदर्शवादी अपने को किसी एक विधि का भक्त न मानकर विधियों का निर्माण व निश्चय करने वाला मानते हैं।”

कुछ आदर्शवादियों द्वारा प्रयुक्त विधियों को इस प्रकार क्रम दे सकते हैं –

सुकरात – वाद विवाद, व्याख्यान, प्रश्नोत्तर

प्लेटो  –    प्रश्नोत्तर, संवाद

अरस्तु –   आगमन विधि,निगमन विधि

हीगल  –   तर्क विधि

पेस्टालोजी – अभ्यास एवं आवृत्ति विधि

हर्बर्ट    –   अनुदेशन विधि

फ्रोबेल  – खेल विधि 

Idealism and Discipline

आदर्शवाद और अनुशासन –

आदर्शवादी अनुशासन को अत्याधिक महत्तव प्रदान करते हैं लेकिन यह अनुशासन दमनात्मक न होकर आत्म अनुशासन होना चाहिए जो समर्पण भाव पर आधारित हो न की स्वातन्त्रय  आधारित। थॉमस व लैंग के अनुसार –

”Freedom is the cry of naturalists while discipline is that of Idealists.”

“प्रकृतिवादियों का नैरा स्वतन्त्रता है जबकि आदर्शवादियों का नैरा अनुशासन है। ”

एक अन्य विचारक फ्रोबेल अनुशासन स्थापन में प्रेम व सहानुभूति की आवश्यकता महसूस करते हुए कहते हैं –

”Control over the child is to be exercised through a knowledge of his interests and by expression of love and sympathy.”

”बालक की रूचि का ज्ञान प्राप्त करके तथा प्रेम और सहानुभूति प्रकट करके उस पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए।”

आदर्शवादी मानते हैं कि अनुशासन में रहकर ही आत्मानुभूति जैसा विहिश्त आध्यात्मिक उद्देश्य प्राप्त हो सकता है।

Idealism and Teacher

आदर्शवाद और शिक्षक –

आदर्शवादी शिक्षक को गरिमामयी गौरवपूर्ण स्थान प्रदत्त करते हैं इनकी दृष्टि में बालक के आध्यात्मिक विकास में शिक्षक महत्त्वपूर्ण कारक है क्योंकि वह आध्यात्मिक गुणों का वह प्रकाश पुंज है जो आध्यात्मिक वातावरण का सृजन कर सकता है। वह माली की भाँती है जो मनमोहिनी छटा के सृजन में महत्तानपूर्ण भूमिका अभिनीत करता है शिक्षक के महत्तव को दर्शाते हुए Ross कहते हैं –

”The naturalist may be content with briars but the idealist wants fine roses, so the educator by his efforts assists the educand who is developing according to the laws of his nature to attain levels that would otherwise be denied to him.”

”एक प्रकृतिवादी केवल काँटों को देखकर ही सन्तुष्ट हो सकता है परन्तु आदर्शवादी सुन्दर गुलाब का पुष्प देखना चाहता है इसलिए शिक्षक अपने प्रयासों से बालक को, जो अपनी प्रकृति के नियमों के अनुसार विकसित होता है उस उच्चता तक पहुँचाने में सहायता देता है जहां तक वह स्वयं नहीं पहुँच सकता।”

Idealism and Child 

आदर्शवाद और बालक –

आदर्शवादी बालक को मन व शरीर दोनों मानते हैं जिसमें मन को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं उनके अनुसार अनुभव का केन्द्र मष्तिस्क नहीं आत्मा है और इस दृष्टि से सब बच्चे सामान हैं व पूर्णता की अनुभूति के योग्य हैं लेकिन ज्ञान को आत्मा ( बोध स्तर ) तक पहुंचाने में शरीर की इन्द्रियाँ कार्य करती हैं और इनकी क्षमता की भिन्नता अन्तर का कारण है।

जर्मन शिक्षा शास्त्री पेस्टालॉजी ने सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक भिन्नता के आधार पर शिक्षा का विधान दिया उनके शिष्य हर्बर्ट व फ्रोबेल ने इसे मूर्त रूप दिया।

Evaluation of Idealism as educational philosophy

शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्यांकन –

विश्व के महान दार्शनिक सुकरात,प्लेटो, बर्कले, लाइबनित्स,फिख्टे,शॉपेन हॉवर, हीगल, कार्लायल, एमर्सन, ग्रीन, ब्रैडले, टेलर, पेस्टालॉजी, हर्बर्ट, फ्रोबेल, आदि पाश्चात्य विचारकों की विचारधारा में कुछ अन्तर अवश्य है लेकिन ये सभी परम सत्य में अखण्ड विश्वास रखते थे यह विचारधारा भारतीय विचारधारा के सबसे निकट है गन दोषों के आधार पर इसका मूल्याँकन इस प्रकार किया जा सकता है – 

Merits of Idealism (आदर्शवाद के गुण)-

1- सर्वोत्कृष्ट मूल्यों की स्थापना

2 – चारित्रिक विकास

3 – सशक्त व्यक्तित्व का गठन

4 – शिक्षक को गौरवपूर्ण स्थान

5 – आत्म अनुशासन की भावना

6- विद्यालय को सामाजिक संस्था का स्थान

7 – रचनात्मक शक्ति का विकास

8 – निश्चित उद्देश्य 

Demerits of Idealism (आदर्शवाद की कमियाँ) –

1 – अध्यात्म पर अधिक बल

2 – केवल भविष्य से सम्बन्ध

3 – बौद्धिकता को आवश्यकता से अधिक महत्तव

4 – बालक को गौण स्थान

5 – अंतिम ध्येय पर सम्पूर्ण ध्यान

6 – वैज्ञानिक विषयों को कम महत्त्व

7 – शाश्वत आदर्श की परिकल्पना विवादास्पद         

आदर्शवाद के गुण दोषों का मन्थन करने पर हमें गुणों का पलड़ा ही भारी महसूस होता है इस विचारधारा ने सबसे दीर्घ अवधि तक अपनी छाप छोड़ी है व मानव को सच्चे अर्थों में मानव बनने में योग दिया है इसमें मानसिक, नैतिक, सांस्कृतिक व धार्मिक शक्तियों को बल मिला है।रस्क कहते हैं –

“These powers lie beyond the range of the positive sciences-biological and even psychological, they raise problems which only philosophy can hope to solve and make the only satisfactory basis of education a philosophical one.” 

“ये शक्तियाँ जीव विज्ञान तथा मनोविज्ञान जैसे वास्तविक विज्ञानों की सीमा से परे हैं ये शक्तियाँ ऐसी समस्याओं को प्रस्तुत करती हैं जिनको केवल दर्शन ही सुलझा सकता है इस प्रकार केवल यही शक्तियाँ शिक्षा के संतोषजनक आधार अर्थात दार्शनिक आधार को निर्मित करती हैं।” 

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