जो कर्म को धर्म बनाता है,

हर कार्य सुगम हो जाता है।

रुकना थकना थम जाता है,

तनाव, क्षरण मिट जाता है।

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है।1।

तन, मन का कार्य कराता है,

शक्ति सञ्चय बढ़ जाता है।

श्रमकार्य सही गति पाता है,

मन रुचे,  कार्य हो जाता है।

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है।2।

मन तन एक स्थल पाता है,

अनुभव में ताजगी लाता है।

डर सारा दूर हो जाता है,

भ्रम – तम छँटता जाता है।   

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है।3।

तन काम को खेल बनाता है,

ऊर्जा क्षय रुकता जाता है।

ध्यान मानस शक्ति बढ़ाता है,

और कामचोरी से बचाता है।

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है ।4।

इक नव बन्धन बन जाता है,

कर्म – मर्म समझ में आता है।

चिन्ता का बोझ हट जाता है,

जोश सङ्ग होश मिल जाता है।   

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है ।5।

सब बिगड़े काम बनाता है,

जब चित्त सुदृढ़ हो जाता है।

सङ्कल्प प्रबल हो जाता है,

और मञ्जिल तकपहुँचाता है।

जो काम में ध्यान लगाता है,

हर सङ्कट का हल पाता है।6।

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