आँखें शरीर की वह खिड़की हैं जिससे बाहरी परिदृश्य का अवलोकन किया जाता है। मन की आँखों की विविध क्रियाओं का आधार भी यह तन की आँखे ही बनती हैं। तन की इन आँखों पर कवि, लेखक, ग़जलकार, प्रेमियों, ऋषियों, विद्यार्थियों, सभी ने विविध दृष्टिकोण रखे हैं। नयनों के कारण बहुत कुछ नयनाभिराम लगता है। नैसर्गिक सौंदर्य हो या कृत्रिम, देखने का आधार तो ये नेत्र ही हैं। शर्म से झुकी आँखें, क्रोध में घूरती आँखे, सरल स्नेही आँखें, धूर्त आँखें आदि विविध रूप नयनों के ही हैं। नयन कजरारे हों या नीले, भूरे हों या कञ्जे देखभाल तो सभी की परम आवश्यक है और नेत्रों के बारे में जितना जाना जाए उतना कम ही है।
आँखों पर अवलम्बित गीत –
इन गीतों की एक बहुत लम्बी श्रृंखला है। यदि सारे गीतों का सङ्कलन किया जाए तो अत्याधिक श्रम व समय की आवश्यकता होगी। बहुत से विज्ञ जनों ने आंखों पर अवलम्बित गानों की सूची बनाने का प्रयास किया है इन्ही में से एक विशिष्ट व्यक्तित्व हैं डॉ दीपक धीमान जो सम्बद्ध रहे हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्व विद्यालय, श्री नगर, गढ़वाल, उत्तराखण्ड से। इनकी संकलित सूची से गीतों के मुखड़े आपके समक्ष क्रमशः रखने का प्रयास है –
01 – तेरी आँखों के सिवा दुनियाँ में रखा क्या है।
02 – आँखों ही आँखों में इशारा हो गया
03 – अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास
04 – अँखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे
05 – हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू
06 – गोर गोर चाँद से मुख पर, काली काली आँखें हैं
07 – आपकी आँखों में कुछ, महके हुए से राज हैं
08 – कजरा मुहब्बत वाला, अँखियों में ऐसा डाला
09 – इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
10 – आँखों में क्या जी, सुनहरे सपने
11 – मैं डूब डूब जाता हूँ शरबती तेरी आँखों की झील सी गहराई में
12 – आँख से छलका आँसू और जा टपका शराब में
13 – हुई आँख नम और ये दिल मुस्कुराया
14 – अँखियाँ मिलाये कभी अँखियाँ चुराए
15 – आँखें भी होती हैं दिल की जुबाँ
16 – आँख है भरी भरी और तुम
17 – आँखें ही न रोई हैं, दिल भी तेरे प्यार में रोया है
18 – ये काली काली आँखें तुरूरू हा हा हा
19 – आँखों में बेस हो तुम,तुम्हें दिल में बसा लूँगा
20 – कत्थई आँखों वाली एक लड़की
21 – आँख उठी मुहब्बत ने अंगड़ाई ली
22 – अँखियाँ नू चैन ना आवे, सजना घर आजा
23 – अँखियाँ उडीक दियां दिल वजा मारदा
24 – बहुत खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी
25 – शाम से आँख में नमी सी है
26 – आँख की गुस्ताखियाँ माफ़ हों
27 – आँखों में तेरी अजब सी, अजब सी अदाएं हैं
28 – सुरीली अँखियों वाले, सूना है तेरी अँखियों से
29 – तेरी काली अँखियों से जिंद मेरी जागे
30 – तेरी आँखों में मुझे प्यार नज़र आता है
31 – आँखों से तूने यह क्या कह दिया
32 – आँखों में नींद न दिल में करार
33 – सांवली सलोनी तेरी झील सी आँखें
34 – चेहरा है या चाँद खिला है , जुल्फ घनेरी शाम है क्या
सागर जैसी आँखों वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या
35 – अपनी आँखों के समन्दर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब क्र मर जाने दे
36 – रात कली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे उन्हीं से आँखें चार हुईं
37 – कितना हसीन चेहरा कितनी प्यारी आँखें
38 – आँख मारे ओ लड़की आँख मारे
39 – तेरी आँखों का ये काजल
40 – नैन लड़ जइहैं ता मनवा मा खटक होएबे करी
41 – ज़रा नज़रों से कह दो जी, निशाना चूक न जाए
42 – तुम्हारी नज़रों में हमने देखा
43 – तेरे नैना बड़े दगाबाज रे
44 – तेरे मस्त मस्त दो नैन, मेरे दिल का ले गए चैन
45 – तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगे
46 – तेरे नैना ,तेरे नैना, तेरे नैना रे
47 – तोसे नैना लागे, मिली जिन्दगी
48 – नैना, जो साँझ ख्वाब देखते थे नैना
49 – नैनों की जो बात नैना जाने है
50 – नज़र नज़र ढूंढें, तुझे मेरी नज़र
51 – कजरारे कजरारे तेरे नैना कारे कारे
ज्ञान परिमार्जन ,उन्नयन से जुड़े आलेख, कविता, कवित्त, दोहा, चौकड़िया, सवैय्या, फाग, पद, अनुवाद गीत, उद्धरण, कड़वक, नवगीत, खण्ड काव्य, सोरठा, सबद, बिरहा, पहेलियाँ, निबन्ध और ग़जलें सभी नयनों से सम्बद्ध रहे हैं।नयनों की दुनियाँ में टहलते हुए जब यथार्त के ठोस धरातल पर कदम रखते हैं तो विशेषज्ञों की चेतावनी याद आती हैं कि आँख के संरक्षण हेतु क्या क्या ध्यान अवश्य रखा जाए।
आँखों के दीर्घ कालिक बचाव हेतु उपाय –
जब इस विचार का मंथन करते हैं तब सार रूप में ज्ञात होता है कि इस हेतु कुछ कार्य करने चाहिए और कुछ नहीं। आइये इन बिंदुओं पर अमल कर आँखों का संरक्षण करें।
01- सुबह आँख धोएं।
02 – आँख मलने से बचें।
03 – प्रातः ओस वाली घास पर चलें।
04 – हाथ बार बार धोएं।
05 – तीव्र धुप से आँख बचाएं।
06 – तेज प्रकाश, वेल्डिंग आदि पर दृष्टिपात न करें।
07 – पर्याप्त जल पियें।
08 – संतुलित आहार लें।
09 – धूम्रपान न करें।
10 – किसी भी नशे से बचें।
11 -स्क्रीन देर तक न देखें।
12 – पर्याप्त निद्रा आवश्यक।
13 -बी० पी ०, शुगर की नियमित जाँच।
14 – बार बार पलक झपकाएं।
15 – नेत्र के व्यायाम करें।
आँखें प्रकृति की अनमोल देन हैं जो हमारे जीवन को आनन्द युक्त बनाने में सहयोग करती हैं थोड़ा सा भी विकार होने पर नेत्र विशषज्ञों की राय अवश्य ली जानी चाहिए। अन्त में यही कहना चाहूँगा –
स्वस्थ नेत्र हर कार्य की क्षमता बढ़ा देते हैं
गर ये परेशान हुए, तो फिर ये रुला देते हैं। .
स्वस्थ रहें काया के साथ नेत्र निरोग रखने का हर प्रयास करें क्योंकि मरणोपरान्त भी ये आँखें किसी के जीवन को रोशन कर सकती हैं याद रखें 10 जून विश्व नेत्र दान दिवस होने के साथ हमें याद दिलाता है कि नेत्रदान महादान है अर्थात जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी।