शंख/ CONCH  

भारत में शंख का प्रयोग आदि काल से होता आया है। विविध ऋषि, मनीषी, वीर, राजा – महाराजा, महा मानव व हिन्दू धर्म में भगवान् भी शंख से सम्बद्ध हैं। दाधीचि शंख को दक्षिणावर्ती या लक्ष्मी शंख के नाम से भी जानते हैं। दक्षिणावर्ती शंख हिन्दू धर्म में शुभ माना जाता है।

रामायण काल के कुछ प्रमुख शंख / Some important conches of Ramayana period –

 रामायण काल में शत्रुघन को भगवान् विष्णु के शंख के अवतार के रूप में देखा जाता है। महाराजा जनक के शंख को पाञ्चजन्य के नाम से जाना जाता है। रावण के शंख का नाम गंगनाभ था। कुम्भकर्ण के शंख का नाम महा शंख था जबकि मेघनाद के शंख का नाम इन्द्र जीत था। विभीषण के शंख का नाम महापाण्डव था।

महाभारत काल के कुछ प्रमुख शंख/ Some important conches of Mahabharata period 

 महाभारत काल में भगवान् कृष्ण के शंख का नाम पाञ्चजन्य, अर्जुन का शंख देवदत्त, महाराज युधिष्ठिर के शंख का नाम अनन्त विजय, भीम का शंख पौण्ड्र, नकुल का शंख सुघोष सहदेव का शंख मणिपुष्पक था।भीष्म पितामह के शंख का नाम गंगनाभ था। दुर्योधन का शंख विदारक व कर्ण के शंख का नाम हिरण्यगर्भ था।

शंखनाद को आज भी विश्व की महत्त्वपूर्ण पावन ध्वनियों में स्वीकृत किया जाता है इसीलिये विविध धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान भारत के शंख / Shells of present-day India –

वर्तमान भारत के जो शंख हैं उन्हें प्राचीन शंखों की भाँति सिद्धि व क्षमता युक्त नहीं स्वीकार किया जाता। आज के भारत में भी बहुत से शंख पाए जाते हैं जिनमें दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख, लक्ष्मी शंख, विष्णु शंख आदि प्रमुख हैं। वामवर्ती शंख को शुभ नहीं माना जाता।

वर्तमान में ऐरावत, कामधेनु, गणेश, अन्नपूर्णा, मणि पुष्पक और पौण्ड्र शंख देखने को मिलते हैं।

शंख बजाने के लाभ / Benefits of blowing conch –

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युद्ध में तो नहीं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसका प्रयोग महत्त्वपूर्ण माना जाता है। आध्यात्मिक रूप से इसकी महत्ता स्वीकारने के साथ इसकी  मानसिक व शारीरिक महत्ता भी कम नहीं है।शंख बजाने की क्रिया आध्यात्मिक, मानसिक व शारीरिक लाभ प्रदान करती है। नित्यप्रति शंख बजाने से स्वास्थ्य व जीवन में सुधार व विकास सम्भव है। इसके लाभों को इस प्रकार क्रम दे सकते हैं। –

01 – श्वाँस क्षमता अभिवृद्धि

02 – थायरॉयड व स्वर यन्त्र व्यायाम

03 – तनाव मुक्ति

04 – फेफड़े की क्षमता वृद्धि

05 – गले के विविध रोगों से मुक्ति

06 – मानसिक शान्ति

07 – गुदाशय, मूत्राशय, मूत्रमार्ग क्षमता अभिवृद्धि

08 – डायफ्राम व छाती की मांस पेशियों को मज़बूती

09 – रोग प्रतिरोधक क्षमता अभिवृद्धि

10 – चहरे की झुर्रियों में कमी

11 – ब्लॉकेज खोलने में सहायक

12 – सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

            शंख बजाइये और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़िए.

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