दूसरों की चिन्ता में घुल घुल कर मर गए कई।

खुद का अन्तःकरण ही अब शुद्ध होना चाहिए।।

औरों को गिराने में हिल हिल कर गिर गए कई।

खुद के सशक्तीकरण हित प्रबुद्ध होना चाहिए।।

होली और ईद में गले मिल मिल कर गए कई।

सबके दिल भी मिल सकें यूँ बुद्ध होना चाहिए।।

जो वहाँ से आए थे, पिट पिट कर मर गए कई।

अब हम सबका मिलन भी लयबद्ध होना चाहिए।।

फलसफे जीने के लिख लिख कर मर गए कई।

अब तो उनका अनुसरण क्रमबद्ध होना चाहिए।।

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